http://rahulnitingupta.blogspot.com/2019/06/blog-post_75.html
Tum
बड़ी बेवकूफ सी है अकड़ आपकी ठोकर भी उस दिल को मारी जिसमे सिर्फ तुम रहते हो ….
लाइन्स
1- तुमसे बात न करू तो गुनाह मेरा होगा
अजब सी है मुस्कान तुम्हारी जो रंग ला देती है
थक गया था ज़िन्दगी से मैं जब तुम मुझे मिले
खिल सी गयी ज़िन्दगी मेरी जब से साथ आप हो …..!!!!
2- कितनी अजीब है न ज़िन्दगी ,
कितनी गरीब है न ज़िन्दगी
कितने सौक कितने रिश्ते रुस्वा किये है हमने
ये तो हमी से पूछो हाल आए दिल सनम !!
3- तुम मिली मैं मिला खुदा ने मिला दिया
ये सौभाग्य मेरा है की तुम मुझे मिली
वरना दुनिया मुझे झेल पाए ऐसी कोई पैदा भी न हुई अब तक
सुनो मेरे दिल की धड़कनो को आए मेरे सनम ,
तुम मेरे हो तो समझ जाओगे गर किसी के और के हो
तो संभल जाना मेरे रास्ते में न आना मैं आग का वोह गोला हु ,
जिसमे अंगुली डालने पर पूरा शरीर धुल हो जायेगा !!
मोहब्बत में हम रोये बहुत
तुम्हारी मोहब्बत में हम रोये बहुत है
तुम्हारी याद में हम तड़पे बहुत है ,
लेकिन हम से अब और न हो पायेगा
इस दिल की आवाज अब हम आप को न सुनंने देंगे,
अरे तुम तो हो ही बेवफा ,
वोह हम थे जो कल तक पकड़ कर मोहब्बत किये
देखता हु तुम्हारी ज़िन्दगी में कितने आएंगे
और अब हम भी अपने ज़िन्दगी में किसी और को आने का निमंत्रण देंगे
लेकिन जो भूल किया है मैंने उससे सिख जाउगा दूसरी मोहब्बत में
यह सोच कर बैठा हु ,
लेकिन अब तक समझ ही न आता है
बेवफाई तुम्हारी पैदाइसी बीमारी है
या फिर तुम्हारा मनोरंजन,
तुम्हारी मोहब्बत में रोया बहुत हु
लेकिन दर्द ऐसा था की हमें कुछ और याद ही न आया ….
भारत की महान संस्कृति और सभ्यता को बर्बाद करने का जिम्मेदार कौन है?
भारत की महान संस्कृति और सभ्यता को बर्बाद करने का जिम्मेदार किसी एक व्यक्ति को नहीं ठहराया जासकता हैहमारी संस्कृति और सभ्यता को बर्बाद करने में, हम और आप हैं। हम और आप जानते हैं जो हमारेसंस्कृति और सभ्यता को बर्बाद करेगी। उसी की ओर और आकर्षित होते हैं। भारत की संस्कृति और सभ्यताको शब्दों में ही समेट कर रख चुके हैं। इसे वास्तविकता का रूप देते ही नहीं।भारतीय संस्कृति और सभ्यता बर्बाद न हो। इसके लिए, हमें और आप को अपनी संस्कृति और सभ्यता कोवास्तविकता का रूप देना होगा। न कि शब्दों में समेट कर रखें।संस्कृति आंतरिक अनुभूति से संबंधित है। जिसमें मन और हृदय की पवित्रता निहित हैं। इसमें कला, विज्ञान,और नृत्य और मानव जीवन के उच्चतर उपलब्धियां सम्मिलित हैं। संस्कृति मानव अन्तर्मन का उच्चतम स्तरहै।सभ्यता जीवन को जीने के बेहतर तरीके और कभी-कभी अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपनेसमक्ष प्रकृति को झुका देना। इसके अंतर्गत समाजों को राजनैतिक रूप से सुपरिभाषित वर्गों में संगठितकरना भी सम्मिलित है। जो भोजन, वस्त्र, संप्रेषण आदि विषय में अपने जीवन स्तर पर सुधारने का प्रयासकरते रहना। मानव समाज के सकारात्मक, प्रगतिशील और समावेशी विकास को करना, उन्नत कृषि औरव्यापार, व्यवसायिक और नागरीकरण की विशेषज्ञता आदि की उन्नत स्थिति हो। इन मूल तत्वों केअलावा,सभ्यता कुछ माध्यमिक तत्वों, जैसे विकसित यातायात व्यवस्था, लेखन, मापन के मानक, संविदा औरनुकसानी पर आधारित विधि व्यवस्था, कला के महान शैलियों, गणित, उन्नत धातुकर्म एवं खगोल विद्या आदिस्थिति से परिभाषित होती है।
तुमसे मुलाकात होगी
कभी मेरी तुमसे मुलाकात होगी
कभी मेरी तुमसे मुलाकात होगी
तुम बैठोगी सामने मेरे ,मुझे शर्म बहुत आएगी
कभी मेरी तुमसे मुलाकात होगी
मैं चाहकर भी तुम्हे छू न पाउगा लेकिन
छूना है मुझे चाहे कुछ भी हो ,
कभी मेरी तुमसे मुलाकात होगी
तुम्हारे केसव को सहलाना ,तुम्हारी निगाहों में निगाहे मिलाना ,
फिर एक बार बाबू बुलाना ,मेरी आदत बनोगे
एकदिन फिर मेरी मुलाकात होगी एकदिन मेरी मुलाकात होगी
तुम पास मेरे होंगे मैं पास आपके होऊंगा,
फिर धीरे धीरे आदत से मेरी आप रु आबरू हो जाओगे
एक दिन तुम मेरे सब कुछ हो जाओगे ,
कभी मेरी तुमसे मुलाकात होगी
आज फुर्सत नहीं मिलती हमें मिलने को
कभी हरवक्त सामने आप हो जाओगे
फिर बाबू कहकर धड़कन कहकर जब मैं बुलाऊंगा
तब तुम अधूरी ज़िन्दगी की दवा बन जाओगे,
कभी मेरी तुमसे मुलाकात होगी
सगाई
हमारी मोहब्बत की शुरुआत हो चुकी थी
लेकिन हमें कुछ पता ही न था ,
जो हम थे एक नवेले याद है न तुम्हे ,
वोह हमारी सगाई के दो दिन पहले वाली लड़ाई
याद है न तुम्हे याद करो थोड़ा तुम ,
मुझे तो पता ही न था की मैं कभी किसी को इतना चाहुगा
तुम सवाल भी न बड़े बेअदब पूछते हो बाबू ,
तुम्हारे सवालों के उत्तर भी देने में मुझे हशी आती है
तुम कितने सवाल करते हो न ,
सोचता हु कभी कभी इस गर्मी की रातों में ,
लेकिन फिर सो जाता हु
तुम सवाल भी तो बड़े बेअदब पूछते हो ,
तुमसे बातें करना और तुममे खो जाना
मुझको यह सबसे अच्छा लगता है
तुम्हारे फ़ोन का इंतज़ार करना यह सबसे कठिन सा लगता है न जाने क्यों मुझको तुममे खो जाना अच्छा लगता है
मिसयूज़
मोहब्बत को यु मिसयूज़ न कर
मोहब्बत में बिश्वास ही सबसे बड़ी बीमारी है ,
मोहब्बत को मिस यूज़ न कर ,
यह भी एक लड़ाई है तेरी मेरी ऐ ज़िन्दगी ,
देखते है हम भी हमें भी चाहत मिलती है या नहीं
मोहब्बत को यु मिस यूज़ न कर
लोग तो हजारों लाखों मिलेंगे पर याद रख
जो खुदा ने खुद दिया हो उसे महफूज क्या रखना
मोहब्बत को यु मिसयूज़ न कर
दुनिया है बहुत बड़ी ये माना मैंने तेरी हर बात
लेकिन मोहब्बत को यु मिस यूज़ न कर
उसकी गलियों में जब तेरा आना जाना होगा
उसकी यादों में जब तेरा तड़पना होगा
हर परेशानी में वोह हर दम तेरे साथ होगी ,
राहुल अपनी मोहब्बत को इस तरह आवाद न कर
बचपना गया तेरा अब कोई नहीं समझेगा
तू लाख कहेगा लेकिन कोई न मानेगा
अपनी मोहब्बत को इस तरह मिस यूज़ न कर
यह तो एक अहसासों की कहानी है ,
यह तो एक खुदा के द्वारा बनाया एक बंधन है ….
राहुल अपनी मोहब्बत को इस कदर ……!!!
स्त्री
दर्द बहुत सभाले है मैंने
सोचा था बड़े होकर कुछ बन कर दिखाउंगी
दिन रात एक करके कुछ दुनिया में नाम कर जाऊगी
लेकिन क्या बताऊ बड़े होते ही माँ बाप ने कर दी परायी
अपने उन चाँद आसुओ के साथ कर दी मेरी बिदाई
सोचा कैसे सब कुछ सह पाउगी माँ बाप की ये जुदाई
सब कुछ यहाँ का बहुत याद आएगा
माँ के हाथ का खाना और मिढ़ाई
भूलूंगी मैं कैसे अपनी किताबे और अपना भाई
अपनी बहन के साथ वोह खट्टी मीठी लड़ाई
लो अब एक पल में मैं तो हो गयी परायी
जिसने इतने दिन दिल से इतने मेहनत से पाला मुझको
आज उसी ने एक पल में मुझको कर दिया परायी !!
दर्द बहुत सभाले है मैंने मेरा नाम है स्त्री !!
मानो तो मैं माँ हु मानो तो बहन मानो तो अच्छी दोस्त मानो तो आपकी अर्धांगिनी !!
लेकिन क्या कहु किससे कहु दर्द अपना मैं
दर्द बहुत सभाले है मैंने मेरा नाम है स्त्री !!
तुमसे मुलाकात होगी
कभी मेरी तुमसे मुलाकात होगी
कभी मेरी तुमसे मुलाकात होगी
तुम बैठोगी सामने मेरे ,मुझे शर्म बहुत आएगी
कभी मेरी तुमसे मुलाकात होगी
मैं चाहकर भी तुम्हे छू न पाउगा लेकिन
छूना है मुझे चाहे कुछ भी हो ,
कभी मेरी तुमसे मुलाकात होगी
तुम्हारे केसव को सहलाना ,तुम्हारी निगाहों में निगाहे मिलाना ,
फिर एक बार बाबू बुलाना ,मेरी आदत बनोगे
एकदिन फिर मेरी मुलाकात होगी एकदिन मेरी मुलाकात होगी
तुम पास मेरे होंगे मैं पास आपके होऊंगा,
फिर धीरे धीरे आदत से मेरी आप रु आबरू हो जाओगे
एक दिन तुम मेरे सब कुछ हो जाओगे ,
कभी मेरी तुमसे मुलाकात होगी
आज फुर्सत नहीं मिलती हमें मिलने को
कभी हरवक्त सामने आप हो जाओगे
फिर बाबू कहकर धड़कन कहकर जब मैं बुलाऊंगा
तब तुम अधूरी ज़िन्दगी की दवा बन जाओगे,
कभी मेरी तुमसे मुलाकात होगी